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प्रो कबड्डी लीग नहीं होगा इस साल? | क्या कारण हो सकते हैं प्रो कबड्डी नहीं होने के | Pro Kabaddi League 2020 News And Updates
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अभी पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी से जुज रही है। पूरी दुनिया लॉकडाउन में है, इसलिए सभी खेल प्रतियोगिताओं को या तो रद्द कर दिया गया है या अनिर्धारित अवधि के लिए स्थगित कर दिया गया है। प्रो कबड्डी हर साल जुलाई से लेकर दिसंबर के बिच आयोजित होती है। मई महीने के आखिर तक प्रो कबड्डी की खिलाड़ियोंकी मिलानी होती है। इस साल कोरोना वायरस के चलते प्रो कबड्डी की नीलामी भी अबतक नहीं हुवी।
18 मई को भारतीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा की "अगर कोई खेल महासंघ टूर्नामेंट आयोजित करना चाहते हैं तो वो स्टेडियम में कर सकते हैं. लेकिन खेल महासंघों को मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का कड़ाई से पालन करना होगा। टूर्नामेंट का आयोजन अनुशासन में रहते हुए किया जा सकता है।"
लेकिन क्या प्रो कबड्डी का आयोजन किया जा सकता है? अगर अगले दो से तीन महीने हालत अच्छे भी हो जाते है फिर भी प्रो कबड्डी जैसी बड़े लीग का आयोजन करना थोड़ा मुश्किल है। जबतक कोरोना वायसर पर कोई ठोस उपाय नहीं मिलता। गौर करते है की ओ क्या कारन है की प्रो कबड्डी इस साल होना मुश्किल है।I'm happy to inform sportspersons and all concerned that sports activities will be conducted in sports complexes and stadia strictly in accordance with MHA guidelines and that of the States in which they are situated. However, use of gyms & swimming pools are still prohibited. pic.twitter.com/zDHECy09iF
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) May 18, 2020
#1 बिना दर्शकोंके भी प्रो कबड्डी का आयोजन संभव नहीं
बिना दर्शंकोंको के भी प्रो कबड्डी का आयोजन करना थोड़ा मुश्किल है। देखा जाये तो कबड्डी के मैदान पर उतने दर्शक नहीं होते की प्रतियोगिता के आयोजन का खर्चा निकल सके। प्रो कबड्डी का ज्यादा तर इनकम लीग और टीम के प्रायोजक (Sponsors) से मिलता है। और उसके लिए लीग को टीवी और Hotstar पर टेलीकास्ट करना जरुरी होगा। टीवी पर प्रतियोगिता दिखानी हो तो बोहोत सारे लोगो की जरुरत पड़ेगी जिसमे कैमरामैन से लेकर बाकी टेक्निकल स्टाफ की जरुरत पड़ेगी। तो क्या इतने सारे लोगो को इखट्टा होने की अनुमति किसी भी राज्य की सरकार देगी। कबड्डी एक ऐसा खेल है जो खिलाडी सोसिअल डिस्टन्सिंग का पालन करते हुवे नहीं खेल सकते।
#2 बिना विदेशी खिलाड़ियोंके प्रो कबड्डी करना ठीक रहेगा?
प्रो कबड्डी में सिर्फ भारतीय खिलाडी नहीं होते बोहोत सारे विदेशी खिलाडी भी होते है। जबतक पूरी स्तिति ठीक नहीं होती तब तक विदेशी खिलाड़ियोंको भारत आने के कोई आसार नहीं। कोई भी देश अगले छे महीने तक तो किसी विदेशी को अपने देश में आने के लिए वीसा नहीं देगा। प्रो कबड्डी में विदेशी खिलाड़ियोंका का भी एहम रोल है। यहाँ अपने ही देश के लोग नौकरिया छोड़ के घर जा रहे है ऐसे में कोई भी विदेशी खिलाडी हो या देश का खिलाडी अपने घर को छोड़ के क्या प्रो कबड्डी खेलने जायेगा। क्या ऐसे में बिना विदेशी खिलाड़ियोंके प्रो कबड्डी करना ठीक रहेगा?
#3 क्या एक ही स्टेडियम में सारे मैचेस करना सही रहेगा?
प्रो कबड्डी में कुल 12 टीम है तो एक ही स्टेडियम पर सारे मैचेस करना थोड़ा मुश्किल होगा। एक ही जगह सारे टीम के खिलाडी और टीम का स्टाफ और बाकि लीग आयोजक, क्या इतने सारे लोग का इक्कठा होना सही रहेगा? अगर अलग अलग स्टेडयम पर करने का सोचे तो ये थोड़ा मुश्किल है जब तक सारी स्तिति पूरी तरह से ठीक नहीं होती तब तक एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने को क्या परमिशन मिलेगी ये भी एक सवाल रहेगा। जानकारी के मुताबिक यु मुम्बा और पुणेरी पल्टन के होम ग्राउंड दोनों को अभी लोगो को कोरांटीन करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। देश में ज्यादा तर इंडोर स्टेडियम शहरोमे है और जहा जहा प्रो कबड्डी का आयोजन होता है उसमे एक दो शहर छोड़ दिए जाये तो लघबघ सभी शहर अभी रेड झोन में है।
#4 कबड्डी में सोसिअल डिस्टेंसिंग रखके खेलने का कोई तरीका नहीं
एथेलेटिक्स में सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुवे प्रैक्टिस और प्रतियोगिता भी की जा सकती है लेकिन कबड्डी में ये संभव नहीं। ऐसे में जबतक कोरोना वायरल पर पूरी तरह से इलाज नहीं मिल जाता या फिर ऐसा तरीका जिससे कोरोना ना फैले तबतक कबड्डी संभव नहीं। भले ही सरकार कितनी भी छूट दे।
#5 क्या बिना नीलामी (Auction) के प्रो कबड्डी संभव है?
इस साल तो लघबघ विदेशी खिलाडी प्रो कबड्डी में खेलना थोड़ा मुश्किल है इस कारन से बिना नीलामी प्रो कबड्डी होना मुश्किल है क्यों की बोहोत सारे विदेशी खिलाडी टीम का एहम हिंसा है। अगर वही खिलाडी नहीं रहेंगे तो टीम कमजोर हो जाएँगी। अगर टीम कमजोर हो जाएँगी तो नीलामी करानी पड़ेगी। देखा जाये तो सिर्फ भारतीय खिलाड़ियोंके साथ प्रो कबड्डी करना मतलब कबड्डी में जो रोमांच है उसे कम करना। ऐसे में आयोजक कोई रिस्क नहीं लेंगे।
क्रिकेट और फूटबाल जैसे खेलो में टिकट बेचकर अच्छा खासा पैसा जमा होता है लेकिन कबड्डी में ऐसा नहीं है। कबड्डी में स्टेडियम में इतने दर्शक नहीं होते और टिकट की कीमत भी कम होती है ऐसे में लीग का पूरा खर्चा निकल सके इसलिए आयोजक और टीम को प्रायोजक (Sponsors) पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। अभी बोहोत सारी कम्पनिया बंद है और कुछ घाटे में है तो ऐसे में हो सकता है प्रायोजक (Sponsors) भी कम हो जाये। तो जबतक बीमारी के साथ साथ अर्थवय्ववसता भी ठीक नहीं हो जाती तबतक खेल प्रतियोगिताओं पर भी संकट रहेगा।
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